रविवार, 25 मार्च 2007
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एहि ब्लोग में हम सबसे पहिने आभार प्रकट करैत छी ओ अनाम YouTube प्रयोगकर्ता के जे एहि Video के ओही पर Upload कऽ हमरा सभ के उपलब्ध करौलथिन। निम्न लोकगीत आधुनिक नहि भऽ के मिथिला के संस्कृति के विभिन्न रूप छैक। जेना समदाउन धिया के विदाई काल में गाबै वला गीत छैक जेकरा सुनतहि भरि आँखि नोर आबि जायत अछी।
2 टिप्पणियां:
"तड़प रहे हैं कोटी-कोटी ग्राम देवता
अक्षत और जल के बिना ही नग्न मूर्छित हो,
सूखी आंत, मींचे दांत, पथ्राये हुए नैन
टकटकी लगाए हैं, पाटने कि ओर, दिल्ली कि ओर ।"
-- अमोघ
-- तार स्वर शीर्षक से (मैं तो तेरे पास में)
"तड़प रहे हैं कोटी-कोटी ग्राम देवता
अक्षत और जल के बिना ही नग्न मूर्छित हो,
सूखी आंत, मींचे दांत, पथ्राये हुए नैन
टकटकी लगाए हैं, पाटने कि ओर, दिल्ली कि ओर ।"
-- अमोघ
-- तार स्वर शीर्षक से (मैं तो तेरे पास में)
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